कबीर परमेश्वर के चमत्कार

नल नील का रोग ठीक करना एवं जल पर पत्थर तैराना
त्रेतायुग में परमात्मा कविर्देव जी (कबीर परमेश्वर) ने मुनींद्र ऋषि रूप में नल और नील के असाध्य रोग को अपने आशीर्वाद से ठीक किया। नल और नील को दिए आशीर्वाद से ही रामसेतु पुल की स्थापना हुई थी। 
  रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। 
  जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले। 
  धन-धन सतगुरु सत्य कबीर, भक्त की पीड़ मिटाने वाले।

शिशु कबीर की सुन्नत करने का असफल प्रयत्न
शिशु रूपधारी कबीर देव की सुन्नत करने के लिए जब नाई कैंची लेकर गया तो परमेश्वर ने अपने लिंग के साथ एक लिंग और बना लिया। फिर उस सुन्नत करने को तैयार व्यक्ति की आँखों के सामने तीन लिंग और बढ़ते दिखाए कुल पाँच लिंग एक बालक के देखकर वह सुन्नत करने वाला आश्चर्य में पड़ गया। तब कबीर जी शिशु रूप में बोले भईया एक ही लिंग की सुन्नत करने का विधान है ना मुसलमान धर्म में। बोल शेष चार की सुन्नत कहाँ करानी है ? जल्दी बोल! शिशु को ऐसे बोलते सुनकर तथा पाँच लिंग बालक के देख कर नाई ने अन्य उपस्थित व्यक्तियों को बुलाकर वह अद्धभुत दृश्य दिखाया। सर्व उपस्थित जन समूह यह देखकर अचंभित हो गया। आपस में चर्चा करने लगे यह अल्लाह का कैसा कमाल है एक बच्चे को पाँच पुरुष लिंग। यह देखकर बिना सुन्नत किए ही चला गया।
शिशु कबीर देव द्वारा कुँवारी गाय का दूध पीना
जब बालक कबीर को दूध पिलाने की कोशिश में नीरू नीमा असफल रहे। तब कबीर साहेब ने कहा कुँवारी गाय ले आओ मैं उसका दूध पीऊँगा। ऐसा ही हुआ।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ। बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है तब कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।

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