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#LifeChangingBookOnDiwali

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लाखों घरों को रोशन करने वाली पुस्तक "जीने की राह" इस दिवाली ज़रुर पढ़ें। सत ज्ञान प्राप्त करने के लिए Satlok Ashram Youtube Channel पर Visit करें | राम भजन बिन कैसी दिवाली संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेकर हर रोज मनाएं दिवाली।

सभ्य समाज

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सभ्य समाज मे कहीं भी बेईमानी, रिश्वतखोरी, डकैती नहीं होनी चाहिये।            एक सभ्य समाज के निर्माण के लिये बच्चों को सही संस्कार व शिक्षा दी जानी चाहिये।               परिवार के बड़ो को चाहिये कि बच्चों को सही संस्कार दिया जाए ।             इसके लिये बच्चों को भक्ति मार्ग पर लगाए , तथा भगवान का व भगवान के विधान का ज्ञान दिया जाना चाहिये।              

मुक्ति पाना आसान है या मुश्किल?

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पूर्ण मुक्ति पाना बहुत ही आसान है। जैसा कि हमे सत्संगों के माध्यम से पता चला है। इस से अर्ल कोई कार्य नहीं है। पर यहाँ पर पाखण्डवाद व मनमुखि भक्ति साधना बहुत ही ज्यादा फैली हुई है जिस कारण से लोग अलग अलग प्रकार से व शरीर को कष्ट देने वाली साधनाये करते हैं। जो मुक्ति नई दिलवा सकती। पूर्ण मुक्ति-  इनके लिये हमको शास्त्रनेकूल भक्ति  साधना करनी होगी।  और पूर्ण गुरु बना कर भगति व साधना करनी है जैसा कि गीता जी 4/34  व अन्य सभी सद्ग्रन्थ कहते है। 【शास्त्रनुकूल भक्ति व शास्त्रनुकूल कर्म 】 सतगुरु की पहचान संत गरीबदास जी की वाणी में - ”सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरे बैन विनोद। चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।“ पूर्ण संत चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा। 

जन्माष्टमी

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अध्याय 2 का श्लोक 12   न, तु, एव, अहम्, जातु, न, आसम्, न, त्वम्, न, इमे, जनाधिपाः ।    न, च, एव, न, भविष्यामः, सर्वे, वयम्, अत:, परम् ।।    न तो ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नहीं था अथवा तू नहीं था अथवा ये राजा लोग नहीं थे और न ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे। गीता सार अध्याय 3 का श्लोक 12  ईष्टान् भोगान्, हि, वः, देवाः, दास्यन्ते, यज्ञभाविताः।   तैः दत्तान्, अप्रदाय, एभ्यः, यः, भुङ्क्ते, स्तेन्ः, एव, सः।।  यज्ञों में प्रतिष्ठित इष्ट देव अर्थात् पूर्ण परमात्मा को भोग लगाने से मिलने वाले प्रतिफल रूप भोगों को तुम को यज्ञों के द्वारा फले देवता इसका प्रतिफल देते रहेगें। जो इनको बिना दिये अर्थात् यज्ञ दान आदि नहीं करते स्वयं ही खा जाते हैं, वह वास्तव में चोर हैं। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा अनुवादित। अध्याय 5 का श्लोक 6  संन्यास, तु, महाबाहो, दु:खम्, आप्तुम्, अयोगतः ।   योगयुक्तः, मुनि, ब्रह्म, नचिरेण, अधिगच्छति।।  हे अर्जुन! इसके विपरित कर्म सन्यास से तो शास्त्रविधि रहित साधना होने के कार...

GodKabir_PrakatDiwas_2020

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पूर्णसंतरामपालजी Maharaj has clearly proved that Supreme Lord is Kabir Saheb Ji and worshipping them can even bring changes to environment and make it healthy and suitable for everyone. 🍁5 जून कबीर प्रगट दिवस  परमेश्वर कबीर साहेब चार ही युगात नामांतर करून शिशु रुपात प्रगट होतात. सतयुगात - सहतेजी, त्रेतायुगात - बंकेजी, द्वापरयुगात - चतुर्भुजजी, कलयुगात - धर्मदासजी :- अधिक माहितीसाठी बगा साधना TV वर 7ः30 ते 8.30  पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे।   कबीर साहेब प्रकट दिवस कबीर परमेश्वर के शिशु रूप को देखकर काशी के लोग कह रहे थे की ये तो कोई देवता का अवतार है, देवता कह रहे थे कि यह स्वयं ईश्वर है और ईश्वर कहते हैं कि ये स्वयं पूर्ण ब्रह्म आये हैं पृथ्वी पर।

KabirPrakatDiwasNotJayanti

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His birth anniversary is celebrated, whose death Kabir, the divine, is indestructible, that's why his manifest day is celebrated. #1DayLeft_KabirPrakatDiwas  #KabirPrakatDiwasNotJayanti Rigved proves that supreme god is Father of everyone but he himself doesn't take birth from anyones. Who is god he is not anyone's son and who is someone's son he is not god. #1DayLeft_KabirPrakatDiwas #KabirPrakatDiwasNotJayanti Vedas explain that the creator of the universes is Kavir Dev. He gives his knowledge through poems and in this process he also becomes famous as a poet.   God kabir saheb explained in his sacred speech that satlok is 16 shankh kos away from this univerese. Kabir ji used to be worshiped in lotus flowers in all four ages.  Kabir Ji never took birth from the mother's womb, so Kabir ji Prakat Diwas  is not celebrated as Jayanti  Must watching sadhna channel at 9:00amto12:00pm, Spiritual knowledge True worship saint rampal ...

कबीरपरमेश्वर_का_अद्भुतज्ञान

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Kabir Sahib Ji described the three Gods in the Gita chapter 15, verses 16-17  Kshar Purush, Akshar Purush, Param Akshar Purush . That is, Brahma, Parabrahma, the Ultimate Purn Brahm. #5Jun_MegaSatsang_SadhnaTv9AM God Kabir came and told the true devotional method, which is very simple, and can be done with everyday work. नाम उठत, नाम बैठत, नाम सोवत जाग वे। नाम खाते, नाम पीते, नाम सेती लाग वे।। Kabir saheb deciphering the sceret tells that they only enhanced the cloth of dropadi saree. Also they killed the hiranyakashipu. Kabir saheb explained to dharmdas ji that he remains in search of hus beloved souls to make them free from kaals trap by telling them real spiritual knowled ge.