#MagharLeela_Of_GodKabir

कबीर परमात्मा मगहर से सशरीर सतलोक गए थे!
जिंदा जोगी जगतगुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगडा मंड्या, पाया नहीं शरीर।। 
परमात्मा कबीर जी के शरीर को प्राप्त करने के लिए दोनों ही दीन, हिंदू और मुसलमान आपस में झगड़े की तैयारी करके मगहर आए थे लेकिन जब शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल मिले तो दोनों आपस में लिपट लिपट कर रोने लगे।
परमात्मा का सशरीर सतलोक गमन
पंडितों ने अफवाह फैलाई हुई थी कि जो काशी में मरता है, वह स्वर्ग जाता है और जो मगहर में मरता है, वह नरक जाता है। इसलिए परमात्मा इस भ्रम को तोड़ने के 
लिए मगहर से सशरीर सतलोक गए।
मगहर में हिन्दू मुसलमानों के बीच का युद्ध टाल दिया था परमात्मा ने हिन्दू मुसलमानों में यह झगड़ा था कि वे अपने गुरु कबीर परमेश्वर जी का अंतिम संस्कार अपनी-अपनी विधि से करना चाहते थे। कबीर जी द्वारा मगहर में शरीर त्यागने के बाद उनके शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुसलमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
लीला मगहर
जब कबीर परमेश्वर जी सशरीर सतलोक (पृथ्वी से 16 संख कोस दूर) चले गए उसके बाद मगहर में दोनों धर्मों
(हिन्दुओं तथा मुसलमानों) ने एक-एक चद्दर तथा आधे-आधे सुगंधित फूल लेकर सौ फूट के अंतर पर एक-एक यादगार भिन्न-भिन्न बनाई जो आज भी विद्यमान है।

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